नन्हा सा मैं और नन्हा सा बचपन,
क्या दोस्ती थी हमारी,
वो प्यारा सा बचपन
वो हमारी मस्ती
वो मस्ती कितनी थी जँचती,
वो माँ की ममता की आँचल,
उस आँचल की हवा,
वो पापा का प्यार,
अंकल चाकलेटों वाले यार,
कितना सुहाना था वो बचपन हमारा,
नन्हा सा मैं और नन्हा सा बचपन।
वो बचपन की यारी, थी कितनी वो प्यारी
लड़ते थे रोज, रोज बनते थे यार,
न कुछ था अपना न कुछ था पराया,
प्यारा था सबसे वो बचपन हमारा,
नन्हा सा मैं नन्हा बचपन हमारा,
वो दादी जी का लाड,
और दादा जी का प्यार,
दोस्त थे वे हमारे, बचपन के यार
वो.बचपन हमारा था सबसे ही प्यारा,
नन्हा सा मैं था नन्हा बचपन हमारा।।
बचपन से खूबसूरत कुछ भी नही।बहुत खूब।
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Dhanyawad
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तमन्ना-ए-इश्क हो या हो कोई भी खूबसूरती,
बचपन की खूबसूरती तब भी लगेगी सबसे हसीन।
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Nice Ankit
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Thanks ritikji
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Welcome Ankit ji
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दिल को छु गया.
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शुक्रिया आपका
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You write very well👏👏❤
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Thanks
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