सावन की मस्ती हो राग हो और रागिनी,
मैं रहूँ वो हों और हो ये जिन्दगानी,
चाँदनी रात हो,
झिलमिल सितारे हों,
अनजान सा डगर हो,
जहाँ ना किसी का डर हो,
और हम लिखें इक प्रेम कहानी,
मैं हूँ वो हों और हो ये जिंदगानी।
इक सुहाना सफर हो,
आकाश में बादल हो,
और रिमझिम सी बारिश,
चलकर प्यार के पथ पर,
हम कहें इक प्रेम कहानी,
मैं हूँ वो हों और हो ये जिंदगानी।
इक अनजाना सा शहर हो,
उस शहर में अपना घर हो,
घर में न किसी का चहल हो,
बस मैं हूँ वो हों और रचें इक प्रेम कहानी,
मैं हूँ वो हों और हो ये जिंदगानी।।
~ANKIT VERMA
👌
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it’s beautiful 👌👏
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Thanku
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Mast…
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Thanks….
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mast hai….bahut khub…
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Dhanyawad
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Superb
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Thanks
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अच्छा लिखा है आपने।
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धन्यवाद आपकी
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Lazaawab…..
Kabhi mere blog pe toh aate to mujhe khushi hogi…
I’ll wait u…..
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Thanks
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BehtreeN……
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Thanks
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Welcome Ankit G.
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