हे भगवान इस दुनिया में ये इन्सान क्यों बना डाला,
इन्सानों तक तो ठीक था पर ये हैवान क्यों बना डाला
इन्सानों ने इन्सानों मे ये कैसा भेद बना डाला,
किसी को हिंदू तो किसी को मुस्लिम,
किसी को सिख्य तो किसी को ईसाई बना डाला,
आपस मे ही लड़ने का ये क्या तरकीब बना डाला,
इन्सानों ने इन्सानों मे ये कैसा भेद बना डाला,
कोई धर्म के लिए लड़ता है,
कोई बस्ती के लिए लड़ता है,
कोई धन के लिए लड़ता है,
तो कोई झूठी शान के लिए लड़ता है,
शान और मान से ये कैसा वेष बना डाला,
इन्सानों ने इन्सानों मे ये कैसा भेद बना डाला।
~ ANKIT VERMA
Bahut acha bhai g
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Dhanyawad bhai
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Swagat hai ap ka
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सच मे सच्चाई लिखी है
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Dhanyawad
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Nice…. I really liked your blog i hope you will like mine too http://bleedingthoughtsweb.com/2017/10/28/my-world/😊
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Of course
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sarahniye rachna ……bahut badhiya sandesh deti apki ye kavita….kash….hamsab ek hote.
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Dhanyawad sir
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Bahut achha likha hai Ankit👍👌
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Dhanyawad S M ji
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बहुत खूब लिखा आप ने अंकित जी ,
धन्यवाद आप को मेरे ब्लॉग पढ़ने और पसंद करने के लिए , और इसी वजह से मुझे आप के इतने अच्छे ब्लॉग के बारे में पता चला ,
कृपया लिखते रहे , हम लोगो को हिंदी ब्लोग्स के बहुत जरुरत है, और हिंदी में लिखने वाले उतने ही कम है ।
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धन्यवाद
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