सफर ये सफर जिन्दगी का सफर,
टेढी मेढी इस रास्ते का सफर,
कहीं खुशियों का सफर,
तो कहीं दुखों का सफर,
कहीं है मिलन का असर,
तो कहीं है बिछड़न का असर,
सफर ये सफर जिन्दगी का सफर,
बचपन में पापा के प्यार का सफर,
उसमें मां के संस्कार का असर,
युवा तो जिम्मेदारियों का पहर,
बुढापा तो अतीत ढूंढने का पहर,
सफर ये सफर जिन्दगी का सफर।
बचपन होता है खेल कूद के बिताने के लिए,
युवा होते हैं देश कुल का गौरव बढाने के लिए,
बुढापा तो यूं ही गुजर जाती है लोगों को सही बात बताने में,
जिन्दगी के हर पहलू में इक प्यार और अपनापन है,
इसीलिए तो ये सफर-ए-जानेमन है।
LOVE YOU JINDAGI…..
~ANKIT VERMA
बहुत खूब।।जिंदगी के सफर को बखूबी दर्शाया।।
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धन्यवाद भाई
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क्या बात है बहुत खूब अंकित जी
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Dhanyawad sir
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Welcome Bro.
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Liked it very much
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Thanks
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