तन्हा था मैं, तन्हाई मे खोया हुआ था,
कुछ बातें थीं जिसमें मैं उलझा हुआ था,
कुछ यादें थी उनकी जिसमें डूबा हुआ था,
कुछ बातें थीं हमारी जो अक्सर याद आती थी,
कुछ लम्हें थीं जो मै कभी भूल नहीं पाता था,
क्या करूं इन यादों की गहराइयों का,
क्या करूं उन लम्हों की परछाई का,
क्या करूं उन बातों की रूसवाई का,
जाने क्यों वो इसकदर खफा हो गई,
जाने क्यों वो इसकदर जुदा हो गई,
जाने क्यों न जाने ये क्या हो गया,
बस अब उनकी बातें हैं उनकी यादें हैं,
उनसे मिलने की चाहत की फरियादें हैं,
मुझे मुहब्बत थी उनसे वो जुदा हो गई,
मुझे जरूरत थी उनकी वो खफा हो गई,
बस अब बचा हूँ मैं और मेरा ये टूटा दिल,
सुलगता हुआ धड़कन मचलता हुआ नैन,
उनसे मिलने की चाहत उन्हें पाने की चाहत,
भटकता है मन मानो उनके चलने की आहट,
याद आती है हमें उनकी हर मुस्कुराहट,
ये कैसी है तन्हाई और तन्हाई का सफर।
~ ANKIT VERMA
Nice,
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Thanks
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bahut khub….
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Sukriya
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बहुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति हुई है कविता में आपके। 👌
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका
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