मेरी जरूरतों में उन्होंने खुद को इतना अनमोल बना दिया
कि उनकी जरूरत महसूस होना ही खत्म हो गया
तन्हाइयों में उन्होंने खुद को इतना दूर कर दिया
कि तन्हाइयों से ही मेरी दोस्ती हो गई
दिल ने चाहा था कि खुद से भी ज्यादा प्यार दूंगा उन्हें
कि उनको सोचते सोचते दिल की ये चाहत भी मिट सी गई
सोचा था कि हमसफर बनाउंगा उन्हें
पर मानो जिन्दगी की ये सफर.यूं ही कट जाएगी
सोचा तो बहुत कुछ था उनके लिए
पर वो तो मेरा दिल सुख चैन सब चुरा के ले गई।
~ ANKIT VERMA
Beautiful. Loved it.
LikeLiked by 1 person
Thank you
LikeLiked by 1 person
ज़माने की बेरुखी के साथ हमने भी अपना रुख बदल लिया
हर खुदगर्ज को इस दिल से रुखसत कर दिया
LikeLiked by 1 person
खुदगर्जों के भीड़ में खामोश हो जाना ही बेहतर है
वरना पता नहीं किस खुदगर्ज के खंजर से ये दिल छलनी हो जाए
LikeLiked by 1 person
ख़ामोशी भी एक अदा है तहज़ीब की
ब्यान ए जज़्बात से अक्सर लोग खफ़ा हो जाते हैं
LikeLike
Good job
LikeLike
Thanks
LikeLike
Best Budy
LikeLiked by 1 person
Thanks
LikeLike
बहुत खूब
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद
LikeLike
बहुत ही अच्छा।
LikeLiked by 1 person
धन्यवाद
LikeLike