तेरी तन्हाइयों में इक नशा सा है
ये नशा भी कुछ अजीब सा है

दिल की धड़कन को बढ़ा देता है

और हय धड़कन पर तेरी यादें

जो बेचैन कर देता है मन को

 तुझे देखने की चाहत

पता नहीं क्यों ऐसा लगता है मुझे

तू है मेरे पास बस यहीं कहीं

आँखें बंद करूं तो तू ही है

आँखें खोलूं तो भी तू ही है

मन में, दिल में, धड़कनों में 

बस तू है तू ही तू है।।

                           ~ ANKIT VERMA