जिन्दगी ने जिन्दगी में
ये जो मोहब्बत न दी होती
न तड़पता ये दिल मेरा
न तरसता ये मन मेरा
उनकी इक झलक के लिए
उनकी इक मुस्कान के लिए
न यूं ही बीतते ये दिन
न रात यूं जगके गुजर जाते
बस उनकी कुछ यादों के लिए
उनकी कुछ बातों के लिए
यादें जो कम्बखत जाती नहीं
बातें वो जो भूल पाते ही नहीं
न आखों को उनका इन्तजार होता
न दिल मेरा यूं बेकरार होता
शायद मुझको भी चैन होता
शायद मेरे आँखों में ये अस्क न होता
शायद मैं भी कुछ कर पाता
शायद मैं भी आज हँस पाता
ऐ काश की मुझे ये मोहब्बत न हुई होती
ये कुरबत न होती ये तोहफत न होती।
@~ANKIT VERMA~@